खजुराहो की छटा निराली। जय-जय मां सलकनपुर वाली। खजुराहो की छटा निराली। जय-जय मां सलकनपुर वाली।
कल-कल,छल-छल बहती। नर्मदा, दुनिया करें जयकार मोरे लाल। कल-कल,छल-छल बहती। नर्मदा, दुनिया करें जयकार मोरे लाल।
गैरों के लिए खुद को मिटाकर अपना स्वर्ण सर्वस्व लुटाकर। गैरों के लिए खुद को मिटाकर अपना स्वर्ण सर्वस्व लुटाकर।
नहीं फ़िक्र है कहाँ है जाना बस सीखा है बढ़ते जाना गिरती हूँ पर गिरी नहीं हूँ नहीं फ़िक्र है कहाँ है जाना बस सीखा है बढ़ते जाना गिरती हूँ पर गिरी नहीं हू...
खेत खलिहान और बाग बगीचे सब है प्यासे इस नदिया के खेत खलिहान और बाग बगीचे सब है प्यासे इस नदिया के
काँपती थी अपने ही लावण्य से काँपती थी अपने ही लावण्य से